नमस्ते दोस्तों क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि सारी सारी रात नींद नहीं आ रही है और आपका दिमाग व्हाट इफ क्या होगा अगर के विचार से त्रस्त है या फिर ऐसा कि आपके पास कोई सिंपल सा टेक्स्ट मैसेज या छोटी सी सूचना आई और आपने घंटों उसको एनालाइज किया।
उसका हिडन मीनिंग समझने की कोशिश की अगर हां तो आप अकेले नहीं और आज हम इसी चीज पर इसी बात पर चर्चा करने के लिए हैं ये जो कांसेप्ट है ये जो बात है यह ओवरथिंकिंग कहलाती है जब हम बहुत ज्यादा अति विचार करते हैं।
तो यह क्या एक अच्छी चीज है या इससे बचा जाना चाहिए क्या इसे रोकने की कोशिश करनी चाहिए ये है क्या इन सब चीजों पर बात करेंगे क्योंकि बार-बार विद्यार्थी मैसेजेस दे रहे हैं अलग-अलग जगह पर कमेंट कर रहे हैं कि ओवर थिंकिंग उन्हें परेशान कर रही है।
तो जरा समझते हैं कि ओवरथिंकिंग या अति विचार दरअसल है क्या व्ट एगजैक्टली इट इज देखिए ओवरथिंकिंग जो है उसका मतलब है कि “जब आप किसी विचार, किसी स्थिति पर किसी समस्या पर जरूरत से ज्यादा सोचते हैं।”
जब आपके दिमाग में एक तरह का एक लूप बन जाता है एक चक्रीय स्थिति आ जाती है और आप उसमें फंस जाते हैं यह जो एक वृत्त बनता है जिसमें आप लगातार सोचते रहते हैं जबकि सूचना वही है सूचना बदली नहीं है लेकिन आप उसका विश्लेषण लगातार कर रहे हैं।
और इससे स्वाभाविक तौर पर कई सारी परेशानियां पैदा होती हैं पहले तो एंजाइटी आती है आप लगातार उधेड़बुन में रहते हैं इस कारण आप कोई फैसला नहीं ले पाते इसके लिए बहुत शानदार शब्द इस्तेमाल होता है “दैट इज कॉल्ड पैरालिसिस बाय एनालिसिस।”
जब आप लगातार विश्लेषण करते हैं और यह विश्लेषण एक तरह से आपकी डिसीजन मेकिंग को लकवा मार देता है आपकी डिसीजन मेकिंग जो है वह थम जाती है इससे स्वाभाविक है कि आपकी प्रोडक्टिविटी कम हो जाएगी आप किताब लेके सामने बैठे हुए हैं।
लेकिन सोच कुछ और रहे हैं किसी और लूप में लगातार फंसे हुए हैं आपकी जो उतनी देर में जो आपको सीखना चाहिए था उससे कम सीख पाएंगे या अगर आपको कोई फैसला लेना था आप फैसला नहीं ले पाएंगे और स्वाभाविक है कि इसके कुछ शारीरिक दुष्परिणाम भी आपको देखने को मिलेंगे।
जैसे कि नींद नहीं आ पाएगी और अन्य किस्म की फिजिकल प्रॉब्लम्स हो सकती हैं आपको कई बार मसल्स की टेंशन हो सकती है और कई किसी-किसी केस में आपको तेज सरदर्द हो सकता है माइग्रेन जिसे कहा जाता है और इस तरह की परेशानियां हो सकती है।
इसलिए ओवरथिंकिंग आज की पीढ़ी की कुछ बड़ी समस्याओं में से है या कम से कम उसे माना जाता है कि वह एक समस्या है आखिर हम ओवरथिंकिंग करते क्यों है इसके लिए आपको समझना पड़ेगा कि जो पूरा का पूरा मानवीय उद्विकास जो इवोल्यूशन ऑफ ह्यूमन बीइंग है।
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जिसमें कि मस्तिष्क और सोच सकने की क्षमता उसकी मुख्य विशिष्टता रही है इस वजह से मनुष्य लगातार और दरअसल इस उद्विकास के इस क्षण में जब मनुष्य ने सोचने समझने की क्षमता अर्जित की तो उसने अपनी कई महत्त्वपूर्ण अन्य विशिष्टता हों को खोया।
वह सबसे तेज नाखून वाला प्रजाति नहीं है वह सबसे तेज दौड़ने वाली प्रजाति नहीं है वह उड़ नहीं सकता इसका मतलब उसकी सुरक्षा के घटक उसके पास कम है उसके पास केवल एक ही अपनी सुरक्षा का सब श्रेष्ठ औजार उपकरण हथियार है।
वह है उसका मस्तिष्क सोचना इसलिए मनुष्य अपने सोचने पर ज्यादा रिलाई करता है और यही उदविकास की प्रक्रिया में कभी-कभी उसके इंडिसीजन उसके अनिर्बन का कारण भी बनता है एक अन्य चीज है हम एक सामाजिक तौर पर कभी-कभी परफेक्शनिस्ट होते हैं।
हमको सब चीजें एकदम सही स्थिति में चाहिए ये जो परफेक्शनिज़्म है ये भी कभी-कभी आपके अंदर ओवरथिंकिंग लेकर आता है इससे ज्यादा अनुभव पुराने अनुभव हम लगातार अप्रिय अनुभवों से बचना चाहते हैं।
और आजकल के समाज में लगभग किसी भी विश्लेषण से आप अप्रिय चीज तक पहुंच सकते हैं इसलिए दरअसल आपके पुराने नेगेटिव एक्सपीरियंस जो पुराने आपके अप्रिय अनुभव हैं उनकी वजह से भी आपके अंदर ओवरथिंकिंग आती है।
अनसर्टेंटी हमें चूंकि एकदम निश्चित तौर पर नहीं पता कि क्या होने वाला है इसलिए जब जब हम अंधेरे में देखेंगे हमें बह भीत करने वाली चीजें दिखाई देंगी दैट्ची यह लगातार हमें ओवरथिंकिंग में डालता है एक अन्य चीज जो है वह यह है कि ओवरथिंकिंग से हमें ये गलतफहमी पैदा होती है।
कि चूंकि हमारे पास एक विश्लेषण एक व्याख्या है इसलिए शायद हम स्थितियों को नियंत्रित कर सकते हैं “वी कैन कंट्रोल देम द फैक्ट इज ओवरथिंकिंग विल नॉट हेल्प यू कंट्रोल द एनवायरमेंट” लेकिन हमें यह गलतफहमी होती है भ्रम पैदा होता है इस कारण हम ज्यादा सोचना शुरू करते हैं।
मैं ये नहीं कह रहा कि सोचना बुरी बात है हम इस पर आएंगे कि ओवरथिंकिंग कहीं ऐसा तो नहीं कि हम ओवरथिंकिंग को अननेसेसरीली एक खलनायक एक विलन बना रहे हैं लेकिन यह सच है कि हम ओवरथिंकिंग कई बार इस लालच में करते हैं।
क्योंकि हमें यह भ्रम होता है कि ओवरथिंकिंग से हम अपनी परिस्थिति पर अधिक बेहतर नियंत्रण कर पाएंगे जो कि दरअसल संभव होता नहीं लेकिन हम में से अधिकांश लोग ओवरथिंकिंग इन वजहों से नहीं कर रहे होते हम में से अधिकांश लोग ओवरथिंकिंग केवल एक वजह से कर रहे होते हैं।
और वह यह है कि हमें उसकी आदत हो जाती है हमारे पास अति विचार की आदत होती है वी एंजॉय ओवरथिंकिंग और एक बार उसकी लत लग जाने के बाद हम हर चीज की चाहे वो राजनीतिक चीज हो सामाजिक चीज हो आसपास परिवार में घटित कोई घटना हो रही हो।
हम इन सब चीजों पर ओवरथिंक करते हैं जरूरत से ज्यादा सोचते हैं जरूरत से ज्यादा सोचने के कई सारे नुकसान होते हैं सबसे पहले तो ओवरथिंकिंग जो है वह हमें एक अलग किस्म की एंजाइटी में डालती है, हमें डराती है, हमें डिसीजन नहीं लेने देती है और इससे हम लोगों के तमाम चीजों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
मतलब रिलेशनशिप पर पड़ता है। अगर आप एक ओवरथिंकर हैं तो ज्यादा संभावना है कि आप सहज संबंध में नहीं रह पाएंगे। आप हर सामने वाले व्यक्ति का विश्लेषण करेंगे। वह आपका मित्र हो सकता है, आपकी प्रेमिका हो सकती है या आपके परिवार का कोई सदस्य हो सकता है।
आप उसके बारे में जरूरत से ज्यादा विश्लेषण करेंगे, उसके हर कृत्य का, उसकी हर हरकत का, उसकी हर गतिविधि का अननेसेसरी विश्लेषण करेंगे। आप उसकी भाषा के बारे में सोचेंगे, वो यहां क्यों खड़ा है, उसने यही क्यों पहना, उसने यही मेकअप क्यों किया, वह इस तरीके से बात क्यों कर रहा था, जबकि हो सकता है कि इसके पीछे कोई गंभीर कारण ना हो।
इसलिए ओवरथिंकिंग लगातार परेशान करती है। पर क्या इसका मतलब ये है कि ओवरथिंकिंग हमेशा बुरी चीज है? संभवत: नहीं, लेकिन फिर भी हमें समझना पड़ेगा कि हमारी जिसे हम क्रिटिकल थिंकिंग कहते हैं और जिसे हम ओवरथिंकिंग कहते हैं, ये दोनों एक ही चीज नहीं हैं।
क्रिटिकल थिंकिंग मनुष्य बनने की अनिवार्य शर्त है। आलोचनात्मक विवेक होना आपको मनुष्य बनाता है, पर आलोचनात्मक विवेक का कतई मतलब यह नहीं है कि आपको हमेशा बाल की खाल निकालनी है, आपको हमेशा जरूरत से ज्यादा सोचना है।
क्योंकि जब आप जरूरत से ज्यादा सोचते हैं तो आप जरूरत से कम करते हैं, और जरूरत से कम करने से स्वाभाविक है कि आपके फल भी कम हो जाते हैं। तो जाहिर है कि आप सब सबसे ज्यादा आपका जो इस पोस्ट को पढ़ने का उद्देश्य है।
वह यही है कि आप जाने कि सर ओवरथिंकिंग को कैसे रोके और जैसा मैंने कहा कि इसके लिए कोई वन साइज फिट ऑल नहीं होता है। जैसे बहुत सारे मेरे विद्यार्थी और साथी लोग जो हैं, ऐसे में मेडिटेशन को एक तरीका मानते हैं।
माइंडफुल है या अन्य किस्म के मेडिटेशन हैं। मैं स्वयं मेडिटेशन का कोई बहुत बड़ा एडवोकेट नहीं हूं, लेकिन मैं मानता हूं कि जिन लोगों पर यह काम करता है, उन्हें इसकी कोशिश कर देखनी चाहिए।
तो यदि आपको लगता है कि मेडिटेशन करने से, माइंडफुलनेस से, वर्तमान में रहने से, आप ओवरथिंकिंग की अपनी आदत या प्रवृत्ति पर लगाम लगा सकते हैं, तो आपको निश्चित तौर पर यह कोशिश कर देखनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त, लेकिन जो एकदम भौतिक किस्म के कुछ तरीके हैं, मैं उन्हें जरूर आपके साथ शेयर करना चाहूंगा। देखिए, जब भी हम कोई योजना बनाते हैं, उसमें सोचना पड़ता है। उसके बारे में वर्स्ट केस सिनेरियो सब सोचने पड़ते हैं, लेकिन इसमें एक संतुलन जरूरी है।
तो कई बार एकदम भौतिक तरीके मसला, आप कितने समय किसी चीज के दुष्परिणामों के बारे में सोचेंगे, इसे तय कर सकते हैं। मान लीजिए आपने कोई छोटा सा फैसला लिया, आप किसी विषय पर कौन सी किताब खरीदेंगे, आपने ये फैसला लिया।
तो आप सोच सकते हैं कि ठीक है इसके बारे में विचार करूंगा, उसके बाद जो फैसला कर लूंगा, मैं उस फैसले पर टिकूंगा। तो ये जो तरीका है, इसका मतलब है कि आप एक टाइमर सेट कर सकते हैं कि आप कितनी चिंता करेंगे।
लेकिन इससे ज्यादा महत्त्वपूर्ण, जिसे मैं लगातार अपनाता हूं और कभी-कभी यह ठीक-ठाक काम करता है, यह है अपने आप को चुनौती दीजिए, आत्मालोचन कीजिए। जब आप किसी चीज के बारे में ज्यादा सोच रहे हैं, तो एक चीज के बारे में और सोचिए कि क्या इस सोचने से कोई फायदा हो रहा है?
यदि आप किसी चीज के बारे में पिछली आधे घंटे से सोच रहे हैं, तो चलिए फिर आधा मिनट इस बात पर सोचिए कि पिछले आधे घंटे सोचने से आपको फायदा क्या हुआ? फिर जाहिर है कि हम सोचते किस बात में हैं? हम सोचते हैं वर्स्ट केस सिनेरियो के बारे में।
अगर यह हो गया तो क्या होगा? लेकिन उसके साथ एक और चीज सोचिए कि क्या वर्स्ट केस सिनेरियो की प्रॉबेबिलिटी है? आप हवाई जहाज में उड़ने का फैसला कर रहे हैं, आपको एक यात्रा करनी है, आप पूरे महीने ओवरथिंकिंग कर सकते हैं।
कि हवाई जहाज जो है, अगर जाकर क्रैश कर जाएगा तो मैं मर जाऊंगा। तरीका है, क्या यह असंभव बात है? नहीं, यह असंभव बात नहीं है। यह सही है कि इतिहास में कुछ हवाई जहाज क्रैश हुए हैं, लेकिन जब आप इस पर विचार कर रहे हैं, तो क्या आपको ये नहीं पूछना चाहिए कि हां ये वर्स्ट केस सिनेरियो है।
बट व्हाट इज द प्रॉबेबिलिटी ऑफ इट हैपनिंग? और आप जानते हैं कि गणितीय रूप से यह लगभग असंभव है। यह संभव है, लेकिन यह प्रोबेबल नहीं है। तो फिर आप इसके बारे में अतिरिक्त विचार करने का क्या फायदा होगा?
और यह भी कि अगर प्लेन क्रैश हो ही गया तो उसके बारे में विचार करने का क्या फायदा है? तो कुल मिलाकर आपको समझना यह है कि आपको अपनी ओवरथिंकिंग पर लगाम लगानी है। लेकिन यह भी समझिए कि कहीं ऐसा तो नहीं कि ओवरथिंकिंग आपका खुद का एस्केप रूट है?
पलायन का तरीका है? आप एक्शन से बचना चाहते हैं, इसलिए ओवरथिंक करते हैं। अपने आप पर सवाल उठाइए, क्योंकि “अधिकांश लोग ओवरथिंकिंग इसलिए करते हैं ताकि कुछ करना ना पड़े” और उनको एक बहाना मिल जाए।
कि मैं ये काम इसलिए नहीं कर पा रहा हूं, क्योंकि मेरे मन में यह विचार आया और इससे लगता है कि इसके करने का कोई फायदा नहीं। और मैं आपको बताता हूं, यह अपने आप से प्रेम ना कर पाने का नतीजा होता है।
जब आप कुछ करने से बचना चाहते हैं, जब आप किसी चीज का क्रेडिट और ब्लेम दोनों से बचना चाहते हैं, तो कई बार आप ओवरथिंकिंग करते हैं और ये तब करते हैं जब आप अपने आप को रिकॉग्निशन से वंचित करना चाहते हैं।
इसलिए अपने आप से प्रेम बहुत जरूरी है। जब आप अपने आप से प्रेम करेंगे, तो ठीक है, आप गलतियां भी करेंगे, लेकिन उन गलतियों के लिए अपने आप को लगातार दोषी नहीं मानते रहेंगे, और यही सामान्य होना, यही मनुष्य होना है।
तो कुल मिलाकर आपको ध्यान रखना है कि ओवरथिंकिंग एक आदत है और आप इस आदत पर लगाम लगा सकते हैं। आपको इसके लिए अभ्यास करना पड़ेगा, लेकिन यह अभ्यास वर्थ इट है। आपको करना ही चाहिए।
छोटे-छोटे बेबी स्टेप्स लीजिए। छोटे-छोटे तरीके अपनाए कि मैं ओवरथिंकिंग रोकने के लिए आज यह करूंगा। कई बार छोटी-छोटी एक्सरसाइज काम करती हैं। अगर आपको ओवरथिंकिंग जैसी लग रही है, तो किसी गेम में शामिल हो जाइए, जिसमें दूसरा व्यक्ति आपके साथ खेल रहा हो।
क्योंकि अकेले में ओवरथिंकिंग ज्यादा होती है। अगर आप किसी टीम गेम में शामिल हो जाएंगे, तो आप कम ओवरथिंकिंग करेंगे। इसी किस्म की छोटी-छोटी और एक्सरसाइज आप ले सकते हैं। और यह तरीका है ओवरथिंकिंग से बचने का। मेरी सलाह है कि क्रिटिकल थिंकिंग इज इंपॉर्टेंट बट ओवरथिंकिंग कैन बी प्रॉब्लमैटिक।